अमेरिका के लिए किम-चिनफिंग की मुलाकात में छिपा है बड़ा संदेश

किम-चिनफिंग
पेइचिंग :  चेहरे पर मुस्कान और औपचारिक तौर पर हाथ मिलाकर नॉर्थ कोरिया और चीन के राष्ट्र प्रमुखों के बीच इस सप्ताह हुई मुलाकात ने बहुत से संकेत एक साथ दे दिए। दोनों ही राष्ट्रों ने यह संकेत दे दिया है कि भले ही हाल में तनाव की कुछ घटनाएं हुई हों, लेकिन प्योंगयोंग के लिए आज भी चीन एक महत्वपूर्ण साथी है। नॉर्थ कोरिया चीन को किनारे लगाकर अन्य राष्ट्रों के साथ संबंध प्रगाढ़ नहीं बनाएगा। अप्रत्याशित हरकतों के लिए मशहूर नॉर्थ कोरिया के तानाशाह ने चीन जाकर यह साबित कर दिया है कि वह चीन को अपना करीबी समझते हैं।
नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से हुई मुलाकात की खबर मीडिया में किम के वापस अपने वतन लौटने के बाद ही आई। माना जा रहा है कि इस मुलाकात का उद्देश्य दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध और आपसी विश्वास को बढ़ाना है। अगले कुछ दिनों में किम जोंग की मुलाकात साउथ कोरिया के राष्ट्रपति मून जा-ईन और अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से हो सकती है।
चीन के साथ अपने संबंध सुधारने को लेकर उत्साह दिखाते हुए किम ने कहा कि वह परमाणु अप्रसार की नीति को आगे ले जाने पर विचार कर रहे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि डॉनल्ड ट्रंप से मुलाकात के पहले चीन के राष्ट्रपति से किम की मुलाकात एक तरह से ट्रंप के लिए झटका है। अमेरिका अपने सहयोगी साउथ कोरिया के साथ किम जोंग उन से मुलाकात कर परमाणु प्रसार के मुद्दे को हल करना चाहता है। नॉर्थ कोरिया के साथ सीधे संवाद की अमेरिका की कोशिश को निश्चित रूप से किम और शी चिनफिंग की मुलाकात से झटका लगा है।
2011 में सत्ता संभालने के बाद से उत्तर कोरिया के तानाशाह ने पहली बार किसी और देश का दौरा किया है। चीन भी अमेरिका को यह संदेश इस मुलाकात के जरिए देना चाह रहा है कि नॉर्थ कोरिया के साथ होनेवाली किसी भी मुलाकात या समझौते के बीच चीन एक गेटकीपर की भूमिका में हमेशा रहेगा। अमेरिका की चीन को किनारे लगाकर नॉर्थ कोरिया से अकेले निपटने की कोशिश एक बड़ा झटका है।
चीन की आधिकारिक न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, नॉर्थ कोरिया में परमाणु प्रसार को रोकने की कोशिश रंग ला सकती है अगर साउथ कोरिया और अमेरिका सद्इच्छा के साथ हमारे प्रयासों में अपनी भूमिका निभाएं। शांति और स्थिरता लाने के लिए प्रगतिशील उपायों के साथ आपसी तालमेल भी जरूरी है ताकि सही अर्थों में शांति कायम हो सके। हालांकि, किम ने भी चीन दौरे के बाद जोर देकर कहा कि वह अमेरिका और अपने नाराज पड़ोसी साउथ कोरिया के साथ बातचीत को लेकर उत्सुक हैं।

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